1 लाख का जुर्माना दो तो प्रेम विवाह के बाद समाज में मिलेगा मान-सम्मान, फरमान का प्रेमी जोड़ों ने किया विरोध
Ñप्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा आवेदन, कहा- सरकार अंतरजातीय विवाह को कर रही प्रोत्साहित, समाज के कुछ लोग कुरीतियों को दे रहे बढ़ावा
भेदभाव के विरूद्ध समाज के युवा आशीष हारोड़ ने उठाई आवाज तो 6 माह के लिए किया समाज से बहिष्कृत
धार। राज्य शासन अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता राशि दे रहा है। वहीं धार्मिक संगठन समग्र हिन्दू एक है का नारा देकर जाति की बजाय धर्म को प्रधानता देने के लिए कार्य कर रहे है। वहीं कई जातियों में जातिवाद इतना हावी है कि समाज से अलग समाज में विवाह करने पर समाज के लोगों पर लाखों का जुर्माना ठोका जा रहा है। उन्हें समाज में तीरस्कृत रखा जा रहा है। ताजा मामला धार मुख्यालय पर नौगांव थाना क्षेत्र के गुजराती रामीमाली समाज से जुड़ा हुआ है। 22 वर्ष पूर्व प्रेम विवाह करने वाले समाज के आशीष हारोड़ ने कुरीति के विरूद्ध ‘क्रांति’ का बिगुल बजाया है। हालांकि उनके आवाज मुखर करते ही समाज के कुछ प्रमुख पदाधिकारियों ने उन्हें 6 माह के लिए समाज से बहिष्कृत कर दिया है। इस तरह की स्थिति के बाद उन्होंने समाज के प्रेम विवाह करने वाले युवाओं को एकत्रित किया और मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों को एक आवेदन सौंपा है और इस तरह के अनुचित फरमान जारी करने वाले लोगों के विरूद्ध उचित कार्रवाई की मांग की है।
80 के लगभग है जोड़े
मंगलवार को बड़ी संख्या में समाज के प्रेमी विवाहित दंपत्ति प्रशासनिक अधिकारियों के पास आवेदन लेकर पहुंचे थे। आवेदन में बताया कि कई लोगों की आर्थिक परिस्थिति काफी कमजोर है। प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को समाज में तीरस्कृत रखा जा रहा है। उन्हें 1-1 लाख रूपए का समाज में जुर्माना भरने के लिए कहा जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग इतनी राशि कैसे लाएंगे, यह कोई नहीं सोच रहा है। क्रांति का बिगुल बजाने वाले आशीष हारोड़ ने कहा कि अब तक समाज के करीब 80 युवाओं ने प्रेम विवाह किया है जिसमें एसटी-एससी से लेकर अन्य जाति के लोग शामिल है। श्री हारोड़ का कहना है कि सबका धर्म हिन्दू है तो जातियों का भेदभाव क्यों। उन्होंने कहा कि प्रेम विवाह करने वाले लोग सामाजिक भय के कारण आवाज नहीं उठा पाते है, लेकिन जो व्यवस्था गलत है वह गलत ही रहेगी और किसी को आवाज उठाना थी, इसलिए हम सबने एक होकर कुरीति के खिलाफ आवाज उठाई है। हम सभी माली समाज का अंग है। लड़ाई समाज के विरूद्ध नहीं, समाज के नाम पर कुरीति को बढ़ावा देने वालों के कार्य के विरूद्ध है।
काउंसलिंग करवाएगा प्रशासन
आवेदन मिलने के बाद प्रशासन ने इसे गंभीरता से संज्ञान लिया है। एसडीएम रोशनी पाटीदार ने बताया कि मामल नौगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत का है। ऐसा विषय है जिसे बातचीत से सुलझाया जा सकता है। हम परामर्श केन्द्र के माध्यम से दोनों पक्षों की काउंसलिंग करवाएंगे। इसके बाद क्या स्थिति बनती है उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
बॉक्स-1
देश महिला दिवस मना रहा था, उन्होंने महिला का बहिष्कार कर दिया
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले आशीष हारोड़ का प्रेम विवाह करीब 22 वर्ष पूर्व हुआ था। उनके 16-17 साल के बेटा-बेटी है। दोनों मेधावी है। प्रेम विवाह के बाद आशीष और उसका परिवार खुशहाली से जीवन जी रहे है। फरवरी माह में आशीष के परिवार में गमी हुई थी। उस दौरान भोज में पैर पड़ाई की रस्म होती है। इस दौरान उनकी पत्नी को पैर पड़ने की रस्म से दूर रखा गया। इस बात का आशीष ने समाज प्रमुखों के सम्मुख लिखित रूप से विरोध दर्ज कराया। जिसके बाद उन्होंने 6 माह के लिए परिवार का सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी कर दिया। 8 मार्च को देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा था। उस दौरान महिला यानि आशीष की पत्नी के साथ हुए व्यवहार की आवाज उठाने पर परिवार को बहिष्कृत कर दिया गया। इस बात से आहत आशीष ने समाज के सभी प्रेमी जोड़ों की आवाज बनने का फैसला किया।
इनका कहना है
आरोप पूर्णत: बेबुनियाद है-मकवाना
गुजराती रामीमाली समाज अध्यक्ष मुकेश मकवाना ने कहा कि जो आरोप लगाए गए है वह पूर्णत: बेबुनियाद और निराधार है। किसी भी प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को समाज से बहिष्कृत या तीरस्कृत नही किया गया है। जुर्माना भी किसी पर ना रोपा गया है ना किसी ने दिया है। यह बात अवश्य है कि कुछ लोग बैठक मेंउद्दंडता कर रहे थे। समाज की जाजम मजबूत जाजम है। इसमें वरिष्ठजनों के समक्ष उद्दंडता होने पर कुछ लोगों को सभा में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया है। मैं शिक्षित अध्यक्ष हूं। सीआरपीसी की धारा एवं कानून के बारे में जानता हूं। हम लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन क्यों करेंगे। यूं भी समाज में कोई भी निर्णय होता है तो अध्यक्ष का एकल निर्णय नहीं होता है वह संपूर्ण कार्यकारिणी का निर्णय होता है।