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लोकसभा में वक्फ बिल को लेकर आम आदमी की राय

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लोकसभा में वक्फ बिल को लेकर आम आदमी की राय
कि देश लोकसभा में कल वक्फ बिल ध्वनि
मतसे पारित हो गयावक्फ बोर्ड आम आदमी के समझ में क्यों नहीं आ रहा है इसको लेकरधार के शहर का जी काजी वकार सादिक से बात वकार सादिक ने कहा कि भाजपा सरकार ने जो बिल पास किया है वह जो मुसलमान के लिए वादे की है वह पूरे करके बताएं केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों का ध्यान रखें तथा गरीब मुसलमान के साथ अन्याय नहीं हो वहीं प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट मुजीब कुरैशी ने कहा कि एक वक्फएक्ट क्या है इसको अभी तो समझने की जरूरत है आम जनता इसको समझ ही नहीं पा रही है और भाजपा इसमें गुमराह कर रही है उन्होंने कहा कि इसमें ऐसा कोई कानून ही नहीं है कि वक्त को बोर्ड किसी भी संपत्ति पर जबरन कब्जा कर सकता है उसके लिए उसको वक्फ बोर्ड में पेपर पेश करना पड़ेंगे उसके बाद उसके लिए ट्रिब्यूनल बना है ट्रिब्यूनल के बाद हाई कोर्ट खुला हुआ है तथा हाई कोर्ट में कई tubonal के केस चल रहे हैं और tribunal कई विभागों का अलग-अलग बना हुआ है उन्होंने कहा कि बोर्ड में वही व्यक्ति अपनी जमीन या मालिक मकान दे सकता है जो देना चाहता है यह जिसका कोई नहीं हो उसकी प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड की होगी और वह अपने प्रॉपर्टी देने के पहले इसमें स्पष्ट लिखेगा की मे में किस कार्य के लिए दे रहा हूं शिक्षा के लिए दे रहा हूं या हॉस्पिटल के लिए दे रहा हूं अन्य बातें जो भी उसकी उचित लगेगी वह लिखेगा तो ही तो‌वह‌ वक्फभी प्रॉपर्टी होगी धार जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हितेश ठाकुर ने कहा कि कानून तो हमेशा बनते रहते हैं तथा उसमें संशोधन भी होता रहता है इसके पहले कानून बनाने के पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि उसमें बाद में किसी प्रकार का संशोधन नहीं करना पड़े जैसे कृषि बिल बना और उसे वापस लेना पड़ा इस कानून बनाने के पहले उसका बारीकी से परीक्षण होना चाहिए भाजपा नेता मेहर अली ने कहा कि बात मुसलमान की हित की नहीं है देश आजाद हुआ जब से किसी को परेशानी नहीं है यह और आगे भी नहीं आएगी अगर किसी को आती है तो न्यायालय जाए और यह कानून मुसलमान के हित में हो या नहीं हो देश हित की बात होना चाहिए दोनों धर्म को कोई परेशानी नहीं आना चाहिए वह सब अच्छा हो रहा है अगर किसी को कानून से भी परेशानी है तो सुप्रीम कोर्ट जा सकता है जिसको इस दिल में संशोधन या सुधार करना है सुप्रीम कोर्ट जाए