
आज AICC मुख्यालय, दिल्ली में मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सिरप से मासूमों की मौत के मामलों पर संयुक्त प्रेस वार्ता की गई। इस प्रेस वार्ता में मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार और राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष श्री टीकाराम जूली जी एवं विधायक सोहनलाल वाल्मीकि जी मौजूद रहे।
दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मध्यप्रदेश में आधे महीने के भीतर 16 मासूम बच्चों की मौतों पर सरकार पर गंभीर लापरवाही, जवाबदेही की अनदेखी और प्रदत्त मुआवज़े को पर्याप्त न मानते हुए तीखा प्रहार किया। जहरीली कफ सिरप, सरकारी जांच की देरी, और मुख्यमंत्री की संवेदनहीनता पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की।
*प्रमुख तथ्य और प्रस्तुत बिंदु*
1 *. मासूमों की मौतें*
• 04 सितंबर से 06 अक्टूबर 2025 तक 16 मासूम बच्चों की मौत।
• 14 मौतें छिंदवाड़ा में, 2 बैतूल में।
• 7 अन्य बच्चे नागपुर के अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच हैं।
2. *सबसे ज़्यादा प्रभावित आयु वर्ग*
• 3 से 5 वर्ष के बच्चे प्रमुख रूप से प्रभावित, जो सबसे संवेदनशील आयु समूह है।
3. *मुख्यमंत्री की उदासीनता*
• राष्ट्रीय सुर्खियों में आने तक मुख्यमंत्री पीड़ित परिवारों से नहीं मिले।
• ₹4 लाख का मुआवज़ा मिला, पर इससे मौतों के लिए जिम्मेदारी पूरी नहीं होगी।
4. *घटना की टाइमलाइन:*
घटना तिथि स्थान
पहला भर्ती बच्चा–24 अगस्त 2025–फिटकुरिया, छिंदवाड़ा
पहली मौत–04 सितम्बर 2025–मोरडोंगरी, छिंदवाड़ा
• 24 अगस्त से सक्रियता न होने से 16 मौतें सूजी।
• कोई सार्वजनिक चेतावनी, बिक्री प्रतिबंध या स्वास्थ्य अलर्ट नहीं जारी।
5. *Coldrif Syrup की विषैली सच्चाई*
• Coldrif Syrup में Diethylene Glycol (Paint, Brake Fluid में उपयोग होने वाला जहरीला औद्योगिक केमिकल) पाया गया।
• यह रसायन किडनी फेल्योर का कारण बनता है।
• कम कीमत पर कुछ कंपनियाँ गलती से या सस्तेपन के चलते इसे ग्लिसरीन की जगह उपयोग करती हैं।
6. *स्वास्थ्य विभाग की नाकामी*
• पहले गंदे पानी, मच्छर, चूहों की आशंका जताई।
• सभी जांच नेगेटिव आने के बावजूद सही दिशा में जांच नहीं हुई।
• पोस्टमोर्टम नहीं कराया गया क्योंकि परिजनों ने सहमति नहीं दी।
7. ‘ *पायलट ज़िला’ के शक़*
• मौतें सभी छिंदवाड़ा जिले की गरीबी और ग्रामीणता में हुई।
• सवाल कि क्या इसी जिले को जहरीली दवा का परीक्षण क्षेत्र बनाया गया था?
8. *अभिभावकों की चिंताएँ*
• पारासिया विकासखंड में 25,000 से अधिक 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे।
• क्या इन सभी की स्वास्थ्य जांच हो रही है? कितने घरों में जहरीली दवा बची है?
9. *तमिलनाडु की रिपोर्ट*
• Sresan Pharmaceutical (Tamil Nadu) की Coldrif Syrup में 48.6% Diethylene Glycol पाया गया।
• तमिलनाडु की लैब ने इसे ‘Adulterated & Poisonous’ घोषित किया।
• इसके बाद मध्यप्रदेश में Ban किया गया
10. *विवादित जांच रिपोर्ट्स*
• तमिलनाडु की रिपोर्ट के विपरीत, ICMR और MP सरकार की रिपोर्ट में 9 सैंपल साफ बताए गए।
• बाकी 10 सैंपलों की रिपोर्ट अभी लंबित है।
11. *मुआवज़ा और संवेदनशीलता*
• 12 बच्चों की मौत पर ₹4 लाख मुआवज़ा।
• सवाल कि क्या ₹4 लाख में मासूम बच्चों की जान का मोल खरीदा जा सकता है?
12. *COUGH SYRUP का मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है* (COREX SYRUP)
· 2022 से अब तक प्रदेशभर में कोडीन युक्त खांसी की दवाइयों की लाखों बोतलें जब्त हुईं — इंदौर (10,000 बोतलें, 2022), सागर (72,000 बोतलें, 2024), भोपाल (127 कार्टन, 2024), रीवा (1,440 बोतलें, 2025) और सतना में राज्यमंत्री के रिश्तेदार तक गिरफ़्तार हुए।
· ये घटनाएँ दिखाती हैं कि प्रदेश में नशे का नेटवर्क पुलिस की नाक के नीचे और राजनीतिक संरक्षण में पनप रहा है।
· भाजपा सरकार के “ड्रग-फ्री मध्यप्रदेश” के दावों की हकीकत इन ज़ब्तियों में दफ़न है — यह कानून व्यवस्था नहीं, नशे की व्यवस्था है।
*अन्य गंभीर चुनौतियाँ:*
1. *बच्चों के खिलाफ अपराधों में मध्यप्रदेश अग्रणी (NCRB 2023)*
• 2023 में 22,393 मामले दर्ज, भारत में सबसे ज़्यादा।
• 16.8% वृद्धि 2021 से 2023 के बीच।
• पिछले चार वर्षों में 59,000 से अधिक बच्चे लापता।
2. *नवजातों पर चूहों का हमला*
• 30–31 अगस्त 2025: इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल के NICU में दो नवजात लड़कियों को चूहों ने काट डाला, दोनों की मृत्यु।
• MP उच्च न्यायालय ने इसे सुस्पष्ट लापरवाही करार दिया और FIR न दर्ज करने पर सरकार से जवाब मांगा।
3. *कुपोषण और प्रचार खर्च में असंतुलन*
• MP में कुपोषण दर 7.79%, राष्ट्रीय औसत 5.4% से अधिक।
• 40% बच्चे ठिगने (Stunted), 26% कम वजन (Underweight)।
• प्रति कुपोषित बच्चे सरकार प्रति दिन ₹8–12 खर्च, जबकि गाय के चारे पर ₹40।
• सरकार प्रचार-प्रसार पर प्रति वर्ष ₹560 करोड़ खर्च, यानी ₹1.5 करोड़ प्रतिदिन।
• सवाल: क्या प्रचार खर्च बच्चों की भलाई से ज्यादा महत्वपूर्ण है?
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने मासूम बच्चों की जानों पर लापरवाही करके उन्हें कब्रिस्तान बना दिया है। यह संवेदनहीनता तभी सुधरेगी जब सरकार दोषियों को सजा दे, जहरीली दवाओं की बिक्री बंद करे, प्रभावित परिवारों को उचित मुआवज़ा दे, और बच्चों की सुरक्षा व पोषण पर गंभीरता से काम करे। उग्र विपक्षी आवाज़ इस त्रासदी में पीड़ितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता रहेगा।










