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नेशन बुलेटिन धार। शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया, माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का अद्भुत संयोग  ( डॉ. अशोक शास्त्री )

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शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया, माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का अद्भुत संयोग   ( डॉ. अशोक शास्त्री )
इस वर्ष भद्रा के साए के कारण खीर , दिव्य ओषधी को लेकर लोग असमंजस में हैं।

धार , सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे आश्विन मास की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है।इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होता है और उसकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसी वजह से इस रात चांदनी में रखी खीर औषधीय गुणों से भर जाती है और इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
इस संदर्भ में मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया की शरद पूर्णिमा आज 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी।
भद्रा का साया
इस बार शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी पड़ रहा है। भद्रा की शुरुआत 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से होगी और रात 10:53 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है क्योंकि यह बाधा और अशुभ फल देती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा की पूजा और खासकर खीर रखने को लेकर लोगों में संशय रहता है।
इस दिन सुबह 7:45 से 9:13 बजे तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल को भी शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, हालांकि इस दौरान कालसर्प दोष से जुड़ी पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, वृद्धि योग , सर्वार्थ सिद्ध योग रहेगा, जिसमें किए गए कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजन किया जाता हैं । साथ भगवान विष्णु की पूजन से जीवन में धन की कमी दूर होती हैं ।
डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को काजोगरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं ।
भद्रा में खीर रखने का उपाय
भद्रा के दौरान खीर नहीं रखनी चाहिए। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खीर को भद्रा समाप्त होने के बाद, यानी रात 10:53 बजे के बाद ही बाहर रखें। इस खीर को पूरी रात चांदनी में रखना चाहिए ताकि चंद्रमा की किरणें उस पर पड़ती रहें। मध्य रात्रि पश्चात् इस खीर का सेवन किया जा सकता है। यदि देर रात तक जागना संभव न हो तो खीर को किसी सुरक्षित स्थान पर इस तरह रखें कि चंद्रमा की रोशनी उस पर पड़ती रहे और उसमें कोई कीड़ा-मकौड़ा या बिल्ली आदि न पहुंच सके।
शरद पूर्णिमा की खीर के साथ दिव्य औषधि का महत्व
डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी अमृत के समान होती है। जब यह किरणें खीर पर पड़ती हैं तो वह सिर्फ भोजन नहीं बल्कि औषधि का काम करती है। इसे खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और कई रोगों से बचाव होता है। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा पर चांदनी में रखी खीर का विशेष महत्व है।

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