महिलाओं को किसी भी तरह की हिंसा से सुरक्षा के लिए जिले में संचालित है वन स्टॉप सेन्टर (सखी)

कलेक्टर श्री प्रियंक मिश्रा निर्देशानुसार महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को किसी भी प्रकार उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति जैसे जागरूकता कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन किया जा रहा है। साथ ही वन स्टॉप सेंटर का भी जिले में संचालन किया जा रहा है। जागरूकता कार्यक्रम जिला कार्यकम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग श्री सुभाष जैन के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
वन स्टॉप सेंटर प्रशासक श्रीमती ज्योत्सनासिंह ठाकुर ने बताया कि महिलाओं को घरेलू हिंसा उत्पीडन और विभिन्न प्रकार के सामाजिक अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिले में वर्ष 2018 से वन स्टॉप सेंटर संचालित है। वन स्टॉप सेंटर में प्रशासक के साथ-साथ प्रशिक्षित काउंसलर, केस वर्कर नियुक्त है, जो घरेलू उत्पीडन के मामले में आपसी सुलह समझौते और काउंसिलिंग के आधार पर समाधान कराती है। जिले में संचालित वन स्टॉप सेंटर पर अब तक 1991 महिलाओं को लाभान्वित किया है। महिलाओं पर गंभीर अपराधों के मामलों में उन्हें कानूनी व विधिक सहायता भी मुहैया करवायी जाती है। पति-पत्नि आपसी लड़ाई झगडे और ससुराल में महिलाओं के परिजनों द्वारा उत्पीडन के अधिकतर प्रकरण आते है। ऐसे में महिला के पति व परिजनों को बुलाकर व्यक्तिगत और सामुहिक काउंसिलिंग प्रक्रिया प्रारम्भ की जाती है। महिला के आवश्कता अनुसार पुलिस आपाताकालीन, कानूनी, परामर्श, स्वास्थ्य सेवा एवं अस्थाई आश्रय जैसी कई सहायता एक ही छत के नीचे प्रदान की जाती है।
काउंसलर चेतना राठौर ने बताया की अधिकतम प्रकरण में सुलह समझौते करके ही परिवार को पुनः बसाने का प्रयास किया जाता है। वन स्टॉप सेंटर का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं के विरूद्ध किसी भी प्रकार के उत्पीडन से उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। वन स्टॉप सेंटर 24 घण्टे 7 दिन कार्य करता है। इसी अंतर्गत आये प्रकरण में दो परिवारों की पुनः खुशियां लौटाई। दोनों परिवार के पक्षों को बुलाकर सामुहिक समझाईश दी गई, 3 काउंसलिंग के बाद दोनों परिवार के पक्षों का आपसी समझौता हुआ।
वन स्टॉप सेंटर प्रशासक श्रीमती ज्योत्सनासिंह ठाकुर ने बताया कि महिलाओं को घरेलू हिंसा उत्पीडन और विभिन्न प्रकार के सामाजिक अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिले में वर्ष 2018 से वन स्टॉप सेंटर संचालित है। वन स्टॉप सेंटर में प्रशासक के साथ-साथ प्रशिक्षित काउंसलर, केस वर्कर नियुक्त है, जो घरेलू उत्पीडन के मामले में आपसी सुलह समझौते और काउंसिलिंग के आधार पर समाधान कराती है। जिले में संचालित वन स्टॉप सेंटर पर अब तक 1991 महिलाओं को लाभान्वित किया है। महिलाओं पर गंभीर अपराधों के मामलों में उन्हें कानूनी व विधिक सहायता भी मुहैया करवायी जाती है। पति-पत्नि आपसी लड़ाई झगडे और ससुराल में महिलाओं के परिजनों द्वारा उत्पीडन के अधिकतर प्रकरण आते है। ऐसे में महिला के पति व परिजनों को बुलाकर व्यक्तिगत और सामुहिक काउंसिलिंग प्रक्रिया प्रारम्भ की जाती है। महिला के आवश्कता अनुसार पुलिस आपाताकालीन, कानूनी, परामर्श, स्वास्थ्य सेवा एवं अस्थाई आश्रय जैसी कई सहायता एक ही छत के नीचे प्रदान की जाती है।
काउंसलर चेतना राठौर ने बताया की अधिकतम प्रकरण में सुलह समझौते करके ही परिवार को पुनः बसाने का प्रयास किया जाता है। वन स्टॉप सेंटर का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं के विरूद्ध किसी भी प्रकार के उत्पीडन से उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। वन स्टॉप सेंटर 24 घण्टे 7 दिन कार्य करता है। इसी अंतर्गत आये प्रकरण में दो परिवारों की पुनः खुशियां लौटाई। दोनों परिवार के पक्षों को बुलाकर सामुहिक समझाईश दी गई, 3 काउंसलिंग के बाद दोनों परिवार के पक्षों का आपसी समझौता हुआ।
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