सुखी जीवन के लिए घर का हेड परमात्मा को बनायें – ब्रह्माकुमारी पूनम बहनजी
अध्यात्म माना स्वयं को सर्वोच्च परमात्मा से कनेक्ट करना – ब्रह्माकुमारी पूनम।
अध्यात्म बल द्वारा ही अखण्ड आनंद की अनुभूति संभव – ब्रह्माकुमारी पूनम।
देना ही लेना है- ब्रह्माकुमारी पूनम
(अलविदा तनाव शिविर का पांचवा दिन )
धार, स्वंय से प्यार करें । जो खुद को प्यार करते हैं उनके जीवन में डिप्रेशन शुन्य हो जाता है । रोज चिंतन करें – इस सृष्टि रंगमंच पर मेरे जैसा दूसरा कलाकार है ही नहीं । अपने मिले हुए पार्ट को संतुष्ट होकर बजायें । अपने अंदर की विशेषताओं को रोज चिंतन करें । यह भी मेडिटेशन है । अपने को शाबासी दें । अपने-अपने घरों में लिखकर रख लीजिये- “मैं बेस्ट हूं । जो पार्ट परमात्मा ने मुझे दिया है वो बहुत अच्छा है । “ उक्त बातें इंदौर से पधारी प्रख्यात तनावमुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम बहनजी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविघालय, शुक्ला कालोनी धार के तत्वाधान में जे.एम.डी. पैलेस धार में चल रहे नौ दिवसीय नि:शुल्क “अलविदा तनाव शिविर” के पांचवें दिन के सत्र में सुखी जीवन का पहला रहस्य बताते हुए कही । सुखी जीवन के लिए दूसरा टिप्स उन्होने बताया- दूसरों के लिए जियें । रिश्तों में प्यार, सम्मान, दर्ज जो भी हम देते है वही वापस आता है ।चेक करिए- मुझे संबंधों में क्या देना है? मंगता नही दाता बनना है । यही भारत की प्राचीन संस्कृति है । देना ही लेना है । सबको प्यार, शुभभावना, खुशी, दुआएं, सहयोग देना है, तभी हम सदा सुखी रह पाएंगे । इस टिप्स को पक्का करने के लिए उन्होने किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार……………….. गीत बजवाकर सब से तालियां बजवाई जिससे खुशी व उमंग उत्साह का वातावरण बन गया । (3) सबकुछ परमात्मा को विल कर दें- सुखी रहने के लिए ट्रस्टी बनकर सब कार्य करें । जिम्मेवारी परमात्मा को दे दें । घर का हेड परमात्मा को बना दें । हर आत्मा का अपना-अपना भाग्य है । ट्रस्टी बन पूरी ऊर्जा लगाकर हर कार्य करें । फिर परिणाम परमात्मा को अर्पित कर दें । यदि दिल से अर्पित करेंगे तो परमात्मा की शक्तियां काम करने लगेंगी व समाधान सामने आ जायेगा । रोशनी मिल जायेगी । फिर उन्होने सब सौंप दो प्यार प्रभु को………… गीत बजवाकर मेडिटेशन के माध्यम से तन,मन, धन,संबंध सब कुछ अर्पण करवाया ।
सर्व प्रथम वीडियों स्क्रीन पर तीन लोक का चित्र दिखाते हुए उन्होने बताया कि इस संसार को मुसाफिर खाना कहा जाता है । यहां हम सभी मुसाफिर है । जहां से आये है एक दिन वहां ही जाना है। हम जहां रहते हैं उसे साकार लोक कहा जाता है । इसे सृष्टि मंच भी कहा जाता है जहां हम सब कलाकार अभिनय करते हैं । इसके ऊपर सूर्य, चॅांद , तारागण से भी पर “सूक्ष्म लोक” है वहां हडडी मांस का शरीर नहीं होता है, प्रकाश का शरीर होता है । वहां आवाज नही होता, इशारों से बातें होती है । इस लोक से भी ऊपर या परे तीसरा लोक है जिसे परमधाम, निर्वाणधाम, शांतिधाम, मूलवतन, ब्रह्मलोक, मुक्तिधाम आदि नामों से जाना जाता है । वीडियों दृश्य के माध्यम से दिखाया की यहां चारों ओर सुनहरा लाल प्रकाश फैला हुआ है जहां सूक्ष्म बिन्दु समान आत्माएं चमक रही है । सबसे ऊपर स्वयं परमपिता परमात्मा दिव्य ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं । मेडिटेशन के लिए यह दृश्य व ज्ञान होना बहुत जरूरी है। उन्होने परमधाम में परमपिता परमात्मा से संबंध जोडकर मेडिटेशन कराते हुए शांति की गहन अनुभूति कराई । आज का अभ्यास करने के लिए उन्होने स्प्रीचुअल इंजेक्शन (मंत्र) दिया- “ मैं इस सृष्टि रूपी रंग मंच पर एक महान कलाकार हुं ।“ इसे उन्होने लिखकर अभ्यास करने के लिए कहा तथा बताया कि यदि 21 दिन तक 108 बार अनुभव करते हुए कोई अच्छा विचार लिखते है तो तथास्तु हो जाता है यानि सिद्ध हो जाती है । आधा मिनट अनुभव करके फिर लिखना है । ऐसा करने से तनाव के कारण ब्रेन में जो ब्लाकेज हो जाते है वें खुल जाते है क्योंकि लिखने से ब्रेन में मूड को अच्छा करने वाले हार्मोन पैदा होने लगते हैं । इससे मन की सारी बीमारियों दूर हो जाती है । कम से कम 50 बार भी यदि दिन भर में लिखें तो अनिद्रा की बीमारी ठीक हो जाती है, सीवियर डिप्रेशन से बाहर आ जाते हैं, भय खत्म हो जाता है ।
अंत में परिवर्तन उत्सव मनाया गया । पहले उसके बारे में उन्होने बताया कि कोरोना काल में सब कुछ ऑनलाईन हो गया था जिसे हम सब ने स्वीकार किया, परिवर्तन किया । वैसे ही आज परमात्मा की तरफ से एक टर्निंग प्वाईंट आया है अपनी लाइफ को 360 डिग्री परिवर्तन करने का । आज से सभी संकल्प करें यानि परिवर्तन कि रोज 45 मिनट अध्यात्म के लिए समय जरूर निकालेंगें । अध्यात्म माना स्वयं को कनेक्ट कर देना सर्वोच्च (परमात्मा) के साथ । कनेक्ट होने से उसकी सारी शक्तियां हमारे में आ जाती है । अध्यात्म का बल अखण्ड आनंद का अनुभव कराता है । फिर परिवर्तन की अध्यामिक दिवाली मेंच पर शहर के गणमान्यजन व ब्रह्माकुकारी बहनो द्वारा दुआएं देने का दीप जलाकर तथा हजारों नगरवासियों द्वारा मोबाईल का टार्च जलाकर सेलिब्रेट किया गया । उस समय गीत भी बजाया गया- एक दिया दुआ का जलाएं । फिर छोडो कल की बातें, कल की बात पुरानी गीत पर युवा भाईयों की मशाल रैली हुई । इस प्रेरणादायी वातावरण में सबने उमंग-उत्साह से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का दृढ संकल्प किया । कल मेडिटेशन द्वारा सम्पूर्ण समस्याओं का समाधान विषय पर सत्र चलेगा व ध्यान उत्सव मनाया जायेगा । हजारों नगरवासी बहुत ही उमंग उत्साह से शिविर का लाभ ले रहें है ।