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प्रधानमंत्री मोदी आज करेंगे ‘रायसीना डायलॉग’ का उद्घाटन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘रायसीना डायलॉग’ का उद्घाटन करेंगे, जिसमें 125 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।

‘रायसीना डायलॉग’ भारत द्वारा आयोजित एक प्रमुख बहुपक्षीय सम्मेलन है, जो वैश्विक मामलों, कूटनीति, सुरक्षा, आर्थिक विकास और नई तकनीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस आयोजन में विभिन्न देशों के नेता, नीति निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गज और शिक्षाविद शामिल होते हैं।

इस वर्ष के डायलॉग का विषय “नए विश्व व्यवस्था में सहयोग और समन्वय” रखा गया है, जिसमें वैश्विक शक्ति संतुलन, भू-राजनीतिक चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल क्रांति पर विशेष चर्चा होगी।

कार्यक्रम में यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के शीर्ष नेता भाग लेंगे। इस बार इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि, आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष और G20 के कई सदस्य देश भी शामिल हो रहे हैं। भारत के लिए यह कार्यक्रम वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारी विकसित करने का एक अवसर है।

भारत इस संवाद का आयोजन 2016 से कर रहा है, और यह अब दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक सम्मेलनों में से एक बन चुका है। इस बार इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार, सतत विकास लक्ष्य (SDG), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी अपने उद्घाटन भाषण में भारत की विदेश नीति, वैश्विक सहयोग और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालेंगे। भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, इस मंच के माध्यम से वैश्विक निवेश आकर्षित करने और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में अपने प्रयासों को साझा करेगा।

‘रायसीना डायलॉग’ का महत्व इस बात से भी स्पष्ट होता है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय संगठनों और नीति निर्धारकों के अलावा, रक्षा विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भी अपनी राय रखते हैं। यह संवाद विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं को तलाशने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने का प्रयास करता है।

इस बार के सत्रों में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। भारत, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सौर ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है, इस मंच पर अपनी योजनाओं को साझा करेगा।

इसके अतिरिक्त, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती, डिजिटल व्यापार, डेटा सुरक्षा, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग को लेकर भी गहन चर्चा होगी। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल क्रांति में बड़ी प्रगति की है, और ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत इस क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को प्रस्तुत करेगा।

डायलॉग में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि वैश्विक शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। भारत, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है, इस मंच पर अपनी रणनीति और अनुभव साझा करेगा।

रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बदलते समीकरणों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। भारत इन जटिल मुद्दों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने का समर्थन करता है।

कार्यक्रम में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी विभिन्न सत्रों में भाग लेंगे। इसके अलावा, प्रमुख वैश्विक थिंक टैंक और नीति अनुसंधान संस्थान भी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

भारत इस संवाद के माध्यम से न केवल अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत करना चाहता है, बल्कि विश्व के अन्य देशों के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को भी गहरा करना चाहता है।

‘रायसीना डायलॉग’ भारत की बहुपक्षीय कूटनीति की सफलता का प्रतीक बन चुका है। इस बार के आयोजन से यह स्पष्ट है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस संवाद का अंतिम उद्देश्य वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और एक समावेशी विश्व व्यवस्था बनाना है, जहां सभी देशों की भागीदारी से विकास और शांति को सुनिश्चित किया जा सके।

 

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