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गाजियाबाद में फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी गैंग का पर्दाफाश

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गाजियाबाद पुलिस ने 12,000 फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी जारी करने वाले गैंग का किया भंडाफोड़

गाजियाबाद की साइबर थाना पुलिस ने एक बड़े इंश्योरेंस फ्रॉड का पर्दाफाश किया है। इस मामले में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो बीते कुछ सालों में 12,000 से अधिक गाड़ियों की फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी जारी कर चुका था। इस गैंग से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक नामी इंश्योरेंस कंपनी का एजेंट भी शामिल है।

कैसे हुआ इस घोटाले का खुलासा?

गाजियाबाद पुलिस को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि लोगों को जो इंश्योरेंस पॉलिसी दी जा रही है, वह असली नहीं है। जब वाहन मालिक अपनी गाड़ियों का बीमा क्लेम करने जाते थे, तो उन्हें पता चलता था कि उनके नाम से जारी पॉलिसी का कोई रिकॉर्ड इंश्योरेंस कंपनी के डेटाबेस में नहीं है। इन घटनाओं के बढ़ने के बाद पुलिस ने मामले की गहराई से जांच शुरू की।

साइबर सेल ने ऐसे पकड़ा गिरोह

गाजियाबाद साइबर पुलिस की टीम ने डिजिटल ट्रांजेक्शनों को ट्रैक करना शुरू किया और पाया कि बड़ी संख्या में फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी ऑनलाइन बेची जा रही थीं। जब पुलिस ने इस गिरोह की गतिविधियों को बारीकी से खंगाला, तो पता चला कि इनका एक पूरा नेटवर्क दिल्ली-एनसीआर में फैला हुआ था।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान

पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान इस प्रकार है:

  1. संदीप शर्मा – यह व्यक्ति एक नामी इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट के रूप में काम करता था।
  2. रवि वर्मा – फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी बनाने और बेचने का मास्टरमाइंड।
  3. सलीम खान – जो पॉलिसी बनाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इंतजाम करता था।
  4. अजय मिश्रा – ऑनलाइन विज्ञापन के जरिए ग्राहकों को फंसाने का काम करता था।

कैसे करता था गिरोह काम?

इस गिरोह के सदस्य लोगों को सस्ती इंश्योरेंस पॉलिसी का लालच देकर ठगते थे। वे ग्राहकों को यह विश्वास दिलाते थे कि वे आधिकारिक इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट हैं और कम कीमत पर गाड़ियों का बीमा करवा सकते हैं। जब कोई ग्राहक इनके झांसे में आ जाता, तो ये उन्हें फर्जी पॉलिसी जारी कर देते और असली इंश्योरेंस कंपनी में उसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता।

गिरोह का नेटवर्क और टारगेट

  • इस गैंग ने मुख्य रूप से दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ और आसपास के शहरों में हजारों लोगों को ठगा।
  • ट्रक, टैक्सी, और कमर्शियल गाड़ियों के मालिक इनके मुख्य शिकार थे।
  • ऑनलाइन वेबसाइट और सोशल मीडिया के जरिए ये लोगों को अपनी जालसाजी का शिकार बनाते थे।

पुलिस ने बरामद किए साक्ष्य

गिरोह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके ठिकानों पर छापा मारा और कई अहम सबूत जब्त किए। इनमें शामिल हैं:

  • 50 से अधिक फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी
  • 10 से ज्यादा लैपटॉप और कंप्यूटर
  • फर्जी दस्तावेज और सीलें
  • बैंक खातों का रिकॉर्ड, जिसमें करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ

पीड़ितों की संख्या हजारों में

गाजियाबाद पुलिस के अनुसार, इस गिरोह के झांसे में आकर हजारों लोग अपने पैसे गवां चुके हैं। पुलिस ने बताया कि 12,000 से अधिक लोगों को इस फर्जीवाड़े का शिकार बनाया गया है।

पुलिस का बयान

गाजियाबाद साइबर थाना के एसपी ने बताया, “यह गिरोह बीते कई वर्षों से इस अपराध को अंजाम दे रहा था। हमारे पास जैसे ही कई लोगों की शिकायतें आईं, हमने इस मामले को गंभीरता से लिया और कार्रवाई शुरू की। अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इस नेटवर्क से जुड़े और भी लोग हो सकते हैं।”

कैसे बचें ऐसे फ्रॉड से?

इस घटना के बाद पुलिस ने आम जनता को सचेत करते हुए कुछ अहम सुझाव दिए हैं:

  1. इंश्योरेंस खरीदने से पहले कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से पॉलिसी की पुष्टि करें।
  2. असली इंश्योरेंस एजेंट के आईडी कार्ड और लाइसेंस की जांच करें।
  3. बहुत कम कीमत पर मिलने वाली पॉलिसी से बचें, क्योंकि वे अक्सर फर्जी होती हैं।
  4. अगर आपको किसी इंश्योरेंस पॉलिसी पर संदेह हो, तो तुरंत पुलिस या इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी (IRDAI) से संपर्क करें।

फर्जी इंश्योरेंस गिरोह का भविष्य क्या?

फ़िलहाल, गिरफ्तार किए गए आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि इस मामले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। इसके अलावा, पुलिस उन बैंक खातों की भी जांच कर रही है, जिनमें इस धोखाधड़ी से पैसा ट्रांसफर किया गया था।

निष्कर्ष

यह मामला देश में हो रहे साइबर अपराधों की एक बड़ी मिसाल है। लोग बिना सही जांच-पड़ताल किए ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीद लेते हैं और बाद में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। गाजियाबाद पुलिस की इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि अगर समय रहते सतर्कता न बरती जाए, तो कोई भी व्यक्ति साइबर अपराधियों के जाल में फंस सकता है। उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी के बाद ऐसे मामलों में कमी आएगी और लोग जागरूक होंगे।